गुरु पादुका पूजन / GURU PADUKA
PUJAN
आप पहले स्नान आदि
से निवृत्त होकर शुद्ध वस्त्र
धारण कर लें और
शारीरिक रूप से स्वच्छ
होने के साथ-साथ
मानसिक रूप से भी
स्वस्थ होना आवश्यक है।
मानसिक रूप से स्वस्थ
होने के लिए तीन
बार "ॐॐ कार की
ध्वनि करें और "ॐ
कार" की ध्वनि सांस
भर कर उस क्षण
तक करें, जो भरी गई
सांस की अंतिम स्टेज
हो ।
"ॐ
कार" की ध्वनि के
पश्चात् दोनों हाथ जोड़कर निम्न
मंत्र का उच्चारण करें
ॐ कारेश्वराय नमः, मम शांति
त्वां स्वच्छ प्राप्ति निमित्तं, मम मन वचन
कर्मणा त्वां पूर्णतः शुद्ध, पवित्र, दिव्य, चैतन्य प्राप्ति निमित्तं, मम समस्त शरीरे
सतां पूर्वा एतोऽस्मानं मस्तिष्क रूपेण, नख, शिख पर्यन्तं पादयोः,
पूर्णतः शुद्ध, सात्विक, पवित्र, चैतन्य, दिव्य त्वां तुभ्यं संपर्ददे।
First of all, after taking bath etc., wear pure clothes and
it is necessary to be physically clean as well as mentally healthy. To be
mentally healthy, make the sound of "Om " thrice and the sound of
"Om car" by inhaling till the moment which is the last stage of the
inhaled breath.
After the sound of "Om car" chant the following
mantra with folded hands
Om kareshwaraya namah, mam shanti tvam swach prapti nimittam,
mam man vachan karmana tvam poorntah shudh pavitra divya Chaitanya prapti
nimittam, mama samast shareere satam purva atosmanam mastishk rupena, nakh,
shikh paryantam padyoh, poorntah shudh , sattvik, pavitra, chaitanya Divya twan
tubhyam sampardade.
गुरु स्थापन guru seat
आप प्रार्थना करें, कि आपके हृदय
में गुरु स्थापित हों,
हाथ जोड़ लें और
गुरु स्थापन मंत्र का उच्चारण करें
गुरुर्ब्रह्मा
गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात् पर ब्रह्म तस्मै
श्री गुरवे नमः ॥
ध्यान मूलं गुरो र्मूर्तिः
पूजा मूलं गुरोः पदम्।
मंत्र मूलं गुरुर्वाक्यं मोक्ष
मूलं गुरोः पा॥
मूकं
करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिं । यत् कृपा
तमहं वन्दे परमानन्द माधवम् ॥
श्री
गुरु चरणकमलेभ्यो नमः प्रार्थनां समर्पयामि
।श्री गुरुं मम हृदये आचाहयामि
मम हृदय कमलमध्ये स्थापयामि नमः । तत्रादौ
आसनं त्वां पूर्वत एतोऽस्मान गुरु पादुकां स्थापयामि
नमः ।
गुरु
आसन के लिए पुष्प
की पंखुड़ियां बिखेर दें तथाहाथ में
जल लेकर तीन बार
आचमनी छोड़ें।
You pray that the Guru may be established in your heart, join
hands and chant the Guru Sthapana Mantra.
Gururbrahma
guruvishnuh gururdevo maheshwarah guruh sakshaat par brahma tasmai sri gurve
namah.
Dhyana moolam guro murtih puja moolam guroh
padam. Mantra Moolam Guruvakyam Moksha Moolam Guru kripah
mukam
Karoti Vachalam Pangu Langhayate Girim . Yat kripa taham vande paramanand
madhavam
Sri Guru
Charankamalebhyo Namah Prarthana Samarpayami. Shri guru mam hridye aavahyami
mam hridya kamal madhye sthapyami namah , Tatradau asanam twan purvat etosman
guru padukam sthapayami namah.
Scatter the petals of the flower for the Guru's seat and
release the aachmani thrice with water in hand.
पाद्य feets
(दो
आचमनी
जल
समर्पित
करें)
ॐ पाद्यं ते पूर्वाहं सतामहं
स कृते एतोऽस्मान स
पूर्वाः तुभ्यं संपर्ददे। पाद्यं समर्पयामि नमः, पाद्यान्ते अर्घ्यं
समर्पयामि नमः।
(Dedicate two Aachmani waters)
Om Padyam te purvaham satamhan sa rikte ethosman sa purvaah
tubhyam sampade. Padyam Samarpayami Namah, Padyante Arghyam Samarpayami Namah.
अर्घ्य ARDHYAM
अब कुंकुम और पुष्प जल
में मिलाकर अर्घ्य समर्पित कीजिए -
पाद्यान्ते
कुंकुमपुष्पैः सह अर्घ्यं समर्पयामि
नमः। तत्रादौ आदर सत्कार रूपेण
गुरुम् आवाहयामि, अर्ध्य समर्पयामि नमः ।
Now offer Arghya by mixing kumkum and flower water.
Padyante kumkum pushpaiah saha arghyam samparpayami namah.
Tatradau aadar satkaar , rupena gurum aavahyami, ardhya samparpayami namah.
आत्मशुद्धि ATMA SHUDHI
आत्म
शुद्धि के लिए दायें
हाथ में जल लेकर
तीन बार निम्न मंत्रोच्चारण
करते हुए जल पीयें
ॐ नारायणाय नमः ।
ॐ केशवाय नमः ।
ॐ गोविन्दाय नमः ।
तत्रादौ
हस्त प्रक्षालनं इसके बाद हाथ
धो लीजिए।
For
self-purification, take water in the right hand and drink water while reciting
the following mantra thrice: Om Narayanaya Namah.
Om Keshavay
Namah.
Om Govinday
namah
Tatradau
Hasta Prakshalanam After this wash your
hands.
पादुका स्थापन
/ PADUKA STHAPAN
एतोऽस्मानं सः तां पूर्वाहं एतोऽस्मानम् पूर्ण मन, वचन, कर्मणा पादयोः पादुका स्थापयामि नमः।
अब
पादुका को थाली में
स्थापित करें, जब गुरु प्रत्यक्ष
हों, तो गुरु प्रत्यक्ष
पूजा करनी चाहिए अन्यथा
उससे भी श्रेष्ठतम पूजा
"गुरु पादुका पूजा" है। अतः थाली
में पुष्पासन बिछा कर उस
पर गुरु पादुकाओं को
स्थापन करें
गुरु पादुकां स्थापयामि नमः।
Etomsmanam
sah tam purvaham etosmanam purna man vachan karmanam padyoh paduka sthapayami
namah.
Now place the paduka on the plate, when the
Guru is visible, then the Guru should be worshipped, otherwise the best worship
is "Guru Paduka Puja". Therefore, by laying Pushpasan on the
plate, establish Guru Padukas on it.
Guru Padukam
Sthapayami Namah.
संकल्प SANKALP
अब दाहिने हाथ में जल,
पुष्प व कुंकुम लेकर
संकल्प करें
ॐ विष्णु र्विष्णु विष्णुः श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य अद्य श्री ब्रह्मणोऽह्नि
द्वितीयपराधें श्वेत वाराहकल्पे द्वीपे मम मन वचन
कर्मणां पूर्णता प्राप्ता निमित्तं गुरु पूजनान्ते तेषां
महालक्ष्मीं आवाहयामि येषां स कृते कल्याण
त्वां एतोऽस्मानं धन धान्य यश प्रतिष्ठा ऐश्वर्य अभिवृद्धये
मम पूर्णतः पदोन्नति प्राप्ताय निमित्तं सर्व सुख प्राप्ति निमित्तं आध्यात्मिक उन्नति
प्राप्ताय निमित्तं सिद्धाश्रम ऋषि मुनि आशीर्वाद प्राप्ताय निमित्तं मम मन वचन कर्मणां
पूर्णतः गुरु
चरणारविन्दं समर्पयामि । त्वां एतोऽस्मानं सा तव चरणे मम अमुक गोत्रोत्पन्नोऽहं ( अपना
गोत्र का उच्चारण करें) अमुक शर्माऽहं (अपना नाम उच्चारण करें) गुरु चरणारविन्दे जल
साक्षीरूपेण समर्पयामि नमः।
जल को भूमि
पर छोड़ दें और पुनः हाथ जोड़ें।
Now take a SANKALP with water, flowers and kumkum in your right
hand.
Om Vishnu Vishnu Vishnu:
Shrimad Bhagvato Mahapurushasya Vishnoragyaya Pravaritsya Adya Shri
Brahmano-Hani IIparadhen Shwet Varahakalpe Dweepe Mam, Mana, Vaahkalpe, Dweep,
Mam, Mana, Vahana, Karman, Perfection, Nimittam Guru Poojante Tesham
Mahalakshmi, Aavahyami Yesham Sa, Krte, Aishwarm, Pratishthanam, Pratishthanam,
Pratishthanam, Aishwarmya, Pratishthanam, Aishwarm, Aitho, Eto Prataya Nimittam
Siddhashram Rishi Muni Blessings Prataya Nimittam Mama Mana Vachan Karmanam
Completely Guru
Charanarvindam Samarpayami. Tvaan atosmanam sa tav charane mam amuk
gotrotpannoham (pronounce your gotra) amuk sharmaham (pronounce your name) guru
charanarvinde jal sakshirupen samparpayami namah.
Drop the water on the
ground and join hands again.
आवाहन प्रार्थना AAVAHAN PRAYER
गुरुर्वै सदान्यं परमं पवित्रं ब्रह्मस्वरूपं चैतन्य
रूपम् । रुद्र स्वरूपाय विष्णुर्वदान्यै गुरुपादुकायां परिपूजयामि ॥
त्वं ब्रह्म
रूपं त्वं देव रूपं आशीर्वादं भवतं सदैवं । क्रियमाण रूपं मम कार्य सिद्धिं गुरुपादुकां
च परिपूजयामि ॥
देवज्ञ चैतन्य
भगवत् स्वरूपं सर्वत्र कार्यं विजयं भवेच्च । आशीर्वादं पूर्वत एव नित्यं गुरु पादुकायां
भवतं नमामि॥
सिद्धाश्रमोऽयं
ऋषितुल्य देवं मम साधयेत त्वं गुरुत्वं सदैव । परमं गुरु परमात्मरूपं गुरुश्च गुरुपादुकायां
भवतं नमामि॥
आवाहयामि ऋषिमुनि
सिद्धाश्रम च आवाहयामि। सर्वत्र देवं दैवञ्च रूपं आवाहयामि गुरु पादुकानि ॥
Guruvai
sadanyam paramam pavitam brahmaswaroopam chaitanya roopam. Rudra Swarupaya
Vishnu varvadanayai Guru padukayan Paripujayami.
Tvam brahm
rupam tvam deva roop ashirvadam bhavatam sadaivam . Kriyaman roopam mama kaarya
siddhi gurupadukan ch paripujayami
Devgnya
Chaitanya Bhagvat Swaroopam Sarvatra Karyam Vijayam Bhavecha. Ashirvaadam
purvat ev nityam guru padukayaan bhavatam namami.
Siddhashramoyam
rishitulya devam mam sadhyet tvam gurutvam sadaiv. Paramam Guru Paramatma roopam
Guruscha Gurupadukayana Bhavatam Namami.
Aavahyami
Rishimuni Siddhashram cha Avahyami. Sarvatra Devam Daivancha Roopam Aavahyami
Guru Padukani.
तत्रादौ
समस्त ऋषि मुनि सिद्ध
गंधर्व यक्ष किन्नर पूर्णतः
सिद्धाश्रम स्थित परम गुरु परमात्म
गुरु, पारमेष्ठि गुरु, परमपरमात्म गुरु, श्री सच्चिदानन्द सहिताय
समस्त ऋषि मुनिं आवाहयामि
मम अमुक गोत्रोत्पन्नोऽहं (अपना गोत्र
बोलें) अमुक शर्माहं (अपना
नाम बोलें) मम पूर्ण मन
वचन कर्मणां शुद्धाय निमित्तं त्वां गुरु चरणारविन्दे मम
गुरु मौद्गल गोत्रस्य यजुर्वेदशाखाध्यायी नारायणदत्त श्रीमाली तेषां चरणपादुकां पूजयामि नमः॥
Tatradau Samast rishi Muni Siddha Gandharva Yaksha Kinnar poorntah
Siddhashram sthit Param Guru Paramatma Guru, Parameshthi Guru, Param Paramatma
Guru, Sri Satchidananda Sahitay samast Rishi Munis Aavahyami Mam Amuk
Gotratpannoऽham (Speak
Your Gotra) Amuk Sharmahamna (Speak Your Name, Words) Mam poorna man vachan
karmanam shudhaay Nimittam tvam guru
charanarvinde mama guru moudgal gotrasya yajurvedshakhadhyayi narayanadatta
srimali tesham charanpadukam pujayami namah॥
तीन
बार जल से ( आचमनी
में जल लेकर) प्रदक्षिणा
करके जल भूमि पर
छोड़ दें, हाथ में
पुष्प लें. गुरुदेव का
आवाहन करें, जिससे इसमें पूर्णतः समस्त दिक्- दिगन्त पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, यम, अग्नि, ईशान,
वायव्य, नैर्ऋत्य, अतंरिक्ष और पाताल दसों
दिशाओं में जो भी
देव हैं, वे सभी
मेरे इस शुभ कार्य
में उपस्थित हों और आशीर्वाद
दें, जिससे मैं मन, वचन,
कर्म से पवित्र होता
हुआ, समर्पित होता हुआ, उनका
आशीर्वाद प्राप्त करता हुआ समस्त
मनोकामनाओं को पूर्ण करता
हुआ ऊंचाई पर उठू इसी
उद्देश्य के साथ में
मैं गुरु पादुका के
ऊपर इन पुष्पों को
समर्पित कर रहा हूं
After doing circumambulation with water (with water in
Aachmani) thrice, leave the water on the ground, take flowers in hand. Invoke
Gurudev, so that in it all the Divines - East, West, North, South, Yama, Agni,
Ishaan, Vayavya, North Ritya, Antriksh and Patala, all the Gods who are in the
ten directions, may be present in this auspicious work of mine. And give
blessings, so that I, becoming pure in mind, word, deed, surrendering,
receiving their blessings, fulfilling all the wishes, I rise to the heights,
with this purpose I am dedicating these flowers on the Guru Paduka. Am
त्वां
पूर्णेहं स्वाहा सदा भवन्यै भवतां
सः हृदयं सदैव पूर्वा सह
क्रियते कल्याण त्वां दीर्घं हः। गुरुचरणारविन्दे त्वां
पादुकायां पुष्पं समर्पयामि नमः। पुष्प के
रूप में मेरा हृदय
पूर्णता के साथ आपके
चरणों में समर्पित है।
Tva purneham swaha sada bhavanayai bhavatam sah hridayam
sadaiva purva saha kriyate kalyan tva dhirgam hai. Gurucharanarvinde twan
padukayana pushpam samparpayami namah.
As a flower, my heart
is completely devoted to your feet.
गणपति पूजन
/ GANPATI PUJAN
दोनों
हाथ जोड़कर भगवान गणपति का स्मरण करें
सुमुखश्चै
कन्दतश्च कपिलो गजकर्णकः । लम्बोदरश्च विकटो
विघ्ननाशो विनायकः ॥
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो
भालचन्द्रो गजाननः । द्वादशै तानि
नामानि यः पठेच्छृणुयादपि ॥
विद्यारम्भे विवाहे प्रवेशे निर्गमे तथा । संग्रामे
संकटे चैव विघ्नस्तस्य न
जायते ॥
शुक्लाम्बर
धरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजं
। प्रसन्न वदनं ध्यायेत् सर्व
विघ्नोपशान्तये ॥
लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः । येषा मिन्दीवर
श्यामो हृदयस्थो जनार्दनः ॥
अभीप्सितार्थ
सिद्धयर्थं पूजितो यः सुरासुरैः ।
सर्व विघ्न हरस्तस्मै गणाधिपतये नमः ॥
सर्व मंगल मांगल्ये
शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते
वक्रतुण्ड महाकाय
सूर्य कोटि समप्रभः । निर्विघ्नं
कुरु मे देव सर्वकार्येषु
सिद्धिदा ॥
ऋद्धि,
सिद्धि सहित महागणपतिं आवाहयामि
स्थापयामि नमः ।
किसी
पात्र में पुष्प का
आसन देकर भगवान गणपति
के प्रतीक रूप में एक
सुपारी की स्थापना करें।
Remember Lord Ganpati with folded hands
Sumukhaschai kandatscha kapilo gajkarnakah. Lambodarsch Vikto
Vighnanasho Vinayaka:
Dhumraketu rganadhyakshao Bhalchandro Gajananah. Dwadshai
tani naamani yah pathechhrnuyadpi
Vidyarambhe vivahe
praveshe nirgame tatha , sangraame sankate chaiv vighnastasya na jayate
Shuklambar dharam devam shashivarnam chaturbhujan. Prasanna
vadanam dhyayet sarva vighnopashyante
Labhstesham
Jayastesham Kutstesham Parajayah. Yesha Mindivar Shymo Hridayastho Janardanah
Abhipsitartha siddhayartham pujito yah surasuraih. Sarva
vighna harastasmai ganaadhipatye namah
Sarv Mangal Mangalye
Shivay Sarvartha sadhike. Sharanye Tryambake Gauri Narayani Namostute
Vakratund Mahakaya Surya Koti Samprabhah. Nirvighnam Kuru Dev
Sarvakaryesu Siddhida
Riddhi, Siddhi,sahit Mahaganapathi Aavahyaami Sthapayami Namah.
Establish a betel nut in the form of a symbol of Lord
Ganapati by placing a flower seat in a vessel.
स्नान SNAN BATH
भगवान
गणपति को जल से
स्नान करायें
ॐ वरुणस्योस्तम्भनमसि वरुणस्यस्कुम्भ सर्जनीस्थो वरुणस्य ऋत सदनमसि वरुणस्य
ऋत सदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमासीत् ।
तीन
बार आचमनी से पुनः जल
चढ़ायें।
तत्रादौ
एतोऽस्मानं पंचामृत स्नानं कुर्यात्।
bathe lord ganpati with water
OM Varunasyo stambhanmasi Varunasyaskumbha sarganistho
Varunasya rit Sadanamasi Varunasya rit Sadanyasi Varunasya Ritasadanamasit.
Offer water thrice with Aachmani again.
Tatradau etosmanam panchamrit snanam kuryat.
पंचामृत स्नान
PANCHAMRIT SNANA
दूध,
दही, घी, शक्कर, शहद
मिलाकर पंचामृत बनाएं तथा उससे स्नान
कराए -
पयो
दधि घृतं मधु च
शर्करा युतं पंचामृत देव्यो
स्नानार्थम् ॐ पंचोवृतं सरस्वती
घट वरो सरस्वती च
धारार्थ तत्रादौ पुनः शुद्धोदक स्नानं
समर्पयामि नमः।
Make Panchamrit by mixing milk, curd, ghee, sugar, honey and
bathe with it.
Payo Dadhi Ghritam Madhu Cha Shakra Yutam Panchamrit Devyo
Snanartham, Om Panchovritam Saraswati
Ghat Varo Saraswati Cha Dhararth Tatradau Punah Shuddhodak Snanam Samarpayami
Namah.
स्नान SNANAM (शुद्ध
जल से स्नान कराएं)
ॐ मणिवालस्तड आश्विनाः श्वेतः श्वेताक्षोऽरुणस्ते रुद्राय पशुपतये कर्णायामा अपलिप्ता रौद्रा नभोरूपा पार्जन्या:
गणपति
को पुष्प से पोंछ कर
उनका कुंकुंम से तिलक करें।
शुद्धवाल:
सर्वशुद्धवालों पुष्पेण
प्रक्षालयामि नमः।
OM manivalstad ashvinah svetaha svetakshorunaste rudraya
pashupataye karnayama apalipta rodra nabhorupa parjanya:
Wipe Ganpati with flowers and tilak him with kumkum.
Shuddhawal sarva shuddho wala
Pushpen Prakshalayami Namah.
तिलक TILAK
ॐ नमोऽस्त्वनंताय सहस्त्रमूर्तये सहस्त्रपादाक्षिशिरोरु बाहवे सहस्त्रनाम्ने पुरुषाय शाश्वते सहस्त्रकोटि युगधारिणे नमः। कृत्वा ।
उद्भावेण
नमः कुंकुमेन तिलकं
Om Namosthvanantaya Sahastra murtye Sahastrapadakshashiroru
Bahwe Sahasranamne Purushaye Sahastrakoti Yugadharine Namah. KRITVA Udbhavena
Namah Kumkumen Tilak
अक्षत AKSHAT / RICE
इसके
बाद अक्षत चढ़ायें।
ॐ अक्षन्नमीमदन्त ह्यवप्रिया अधूषत । अस्तोषत स्वभानवो
विप्रा नविष्टया मतीः योजानविन्दते हरी।
अक्षतान्ते
पुष्पाणि समर्पयामि नमः ।
After that offer akshat.
OM Akshnamidant Hyapriya Adhushat. Astoshat svabhanavo vipra
navishtaya mati: yojanvindate hari.
Akshatante Pushpani Samarpayami Namah.
पुष्प FLOWERS
अब दोनों हाथों में खुले पुष्प
लेकर अर्पित करें
सुमाल्यानि
सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो ।मया
नीतानि पुष्पाणि पूजार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
पुष्पाणि समर्पयामि नमः, पुष्पान्ते दीपं
दर्शयामि नमः।
Now offer open flowers in both hands
Sumalyani Sugandhini Malatyadini Vai Prabho, maya nitani pushpani pujartham prati
grehtam
Pushpani Samarpayami
Namah, Pushpante Deepam Darshayami Namah.
दीपक पूजन LAMP WORSHIP
दीपक
का कुंकुम से पूजन करें
ॐ आह्वं सर्व ददयोति तां
विधं तं पूजा योगस्य
च धारण सरस्वती च
अधिष्ठात्री धूप आप्रापयामि, दीपं
दर्शयामि नमः । भो!
दीप सूर्य रूपत्वं अन्धकार निवारक यावत् कर्म समाप्तिः स्यात्
तावतुत्वं सुस्थिरो भव ।
हे दीप ! आप सूर्य की
तरह प्रकाशवान हैं, आप मेरे
हृदय में स्थापित हों,
जिससे मेरे मन में
किसी प्रकार का अंधकार व्याप्त
न हो, ज्ञान के
प्रकाश में मैं निरंतर
अग्रसर होता रहूं। आप
की तथा सूर्य की
साक्षी में अपने गुरु
चरणों की दिव्य पादुका
का पूजन सम्पन्न कर
रहा हूं।
worship the
lamp with kumkum
Om Aham sarva
dadyoti tam vidham tam pooja yogasya cha dharana saraswati cha adhishthtri
dhoop aaprapayami, deepam darshayami namah. bho Deep surya rupatvam andhkaar
nivarak yavat karma samapti syat tavatutvam susthiro bhava.
oh lamp!
You are as bright as the sun, may you be established in my heart, so that no
darkness prevails in my mind, I may continue to progress in the light of
knowledge. In the presence of you and the sun, I am completing the worship of
the divine footwear of my guru's feet.
शिखा बन्धन
SHIKHA BANDHAN
चोटी
या शिखा का बंधन
करें। शिखा न होने
पर सिर - पर शिखा स्थान
पर दाहिने हाथ से स्पर्श
करें
ॐ मानस्तोके तनये
मान आयुषि मानो गोषु मानो
अश्वेषुरीरिषः ! मा नो वीरान्
रुद्र भामिनो वधी हविष्मन्तः सदमित्या
हवामहे ।
तत्रादौ
शिखा बन्धनम्, शिखाबन्धनान्ते तिलक कृत्वा ।
Tie the
braid or crest. If there is no crest on the head - but touch the crest place
with the right hand.
OM
Manastoke tanye maan ayushi mano goshu mano ashvepuririshah ma no viraan Rudra Bhamino Vadhi Havishmantha Sadmitya
Hawamahe.
Tatradau
shikha bandhanam, shikha bandhante tilak kritva.
तिलक TILAK
अनामिका
उंगली से अपने आपको
तिलक करें।
ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः
। स्वस्ति नः पूषा विश्व
वेदाः । स्वस्तिनस्ताक्ष्यों अरिष्टनेमिः ।
स्वस्तिनो बृहस्पतिर्दधातु । तत्रादौ स्वहस्तेन
तिलकं कृत्वा ।
Tilak yourself with the ring finger.
Om swasti na indro vriddhashravah. Swasti Na Pusha Vishwa
Veda. Swastina stakshyon arishtanemih. Swastino brihaspatir dhatu. Tatradau
svahasten tilakam kritva.
हस्त प्रक्षालनम् HAST PRAKSHALAM
हाथ
धो लीजिये ।
WASH HANDS
पुष्प FLOWERS
अब थोड़े से पुष्प
लेकर के गुरु पादुका
पर चढ़ायें
ॐ पुष्पेण प्रोक्षयामि सः पूर्ण परिवार
सहितं पत्नी पुत्र बन्धु बान्धव स कुटुम्ब सहितं
समस्त परिवार सहितं त्वां पूजयामि, प्रारम्भिक क्रमेण पुष्पाणि त्वाम् समर्पयेत्। तत्रादौ एतोऽस्मानं स कृते स्नानं
कुर्यात्
Now take some flowers and offer them on Guru Paduka.
OM Pushpen Prokshayami saha purna parivar sahitam patni putra
bandhu bandhav sa kutumb sahitam samast parivar sahitam tvam pujayami , prarambhik kramen pushpani
tvam samparpayet. Tatradau etosmanam sa krite snanam kuryat
जल स्नान JAL SNAN / WATER BATH
अब पादुकाओं को जल से
स्नान कराइये
ॐ वरुणस्योस्तंभनमसि वरुणस्य स्कम्भसर्जनीस्थो
वरुणस्य
ऋत सदन्यसि वरुणस्य ऋत सदनमसि ऋत
सदनमासीत् । 'भो! करुणं
आवाहयामि कल्पवृक्षस्य मूले शिव समाहित
मुले च त्वं स्थितो
ब्रह्मा मध्ये च मातृ मध्ये
सुखतो तां स तुभ्यं
सम्पर्ददे ।
Now bathe the padukas with water
OM Varunasyo stambhanamasi Varunasya skamba sarjanistho
Varunasya Rita Sadanyasi Varunasya Rita Sadanamasi Rita
Sadanamasit. 'BHO! Karunam aavahyaami kalpavriksya mule shiva samahit mule cha
tvam stitho brahma madhye cha matra madhye sukhto tam sa tubhyam sampardade.
कलश पूजन KALASH PUJAN
आपके
पास जो कलश है,
उसके चारों तरफ बिन्दी लगाइये,
यह बिन्दी कुंकुम से लगानी है
-
पूर्वे
ऋग्वेदाय नमः, पश्चिमे यजुर्वेदाय
नमः, उत्तरे सामवेदाय नमः, दक्षिणे अथर्ववेदाय
नमः । चतुर्वेदं आवाहयामि
स्थापयामि नमः । कलश
समस्तं भूलोक, सर्वलोक, ब्रह्मलोक तां सप्त लोकस्य
प्रतीक रूपेण स कलशं स्थापयेत्
।
कलश
के नीचे अक्षत रखिए
और उसके ऊपर कलश
को स्थापित करें। फिर उसमें आचमनी
या किसी अन्य पात्र
से तीन बार जल
डालें
सर्व
समुद्राः सरितस्तीर्थानि जलदा नदाः ।
आयान्तु
देव पूजार्थं दुरितक्षयकारकाः ॥
इसके
बाद कलश में सुपारी
डालिये
सुवाहितां
स पूर्वा पुंगीफलं महाविद्या नाग पुष्प च
ताम्बूलं तां सर्वान् संस्कार
रूपेण कलशे स्थापयामि नमः।
तत्रादौ कलशे कुंकुमं स्थापयामि
नमः।
इस मंत्र को बोलते हुए
कलश के अन्दर कुंकुम
डालें।
कुंकुमेण
स गन्धः एतोऽस्मानं तां पूजय तुभ्यं,
इदमस्तु पूर्ने ज्योति पूजनं कलशे स्थापयामि नमः।
तत्रादौ नारिकेल कलशे स्थापयामि ।
Put a dot around the COPPER POT that you have, this dot has
to be done with kumkum.
Poorve Rigvedaya Namah, Paschimye Yajurvedaya Namah, Uttare
Samavedaya Namah, Dakshine Atharvavedaya Namah. Chaturvedam aavahyami
sthapayami namah. Kalash Samastam Bhuloka, Sarvaloka, Brahmaloka tam sapta
Lokasya prateek rupen sa kalasham sthapyet
Keep Akshat under the Kalash and place the Kalash on top of
it. Then pour water in it thrice with an achmani or any other vessel.
Sarva Samudra:, Saritsirthani Jalda Nadaah.
Ayantu Dev Poojartham Duritakshay karaka:
After this put betel nut in the vase
Suvahitam sa Poorva Pungiphalam Mahavidya Nag Pushpa Cha
Tamboolam Tam Sarvan Sanskar Rupena Kalashe Sthapayami Namah.
Tatradau Kalashe
kumkuman sthapayami namah.
While chanting this mantra put kumkum inside the kalash.
Kumkumen sa gandhah etosmanam tam pujay tubhyam, idamastu
purne jyoti pujanam kalashe sthapayami namah. Tatradau narikel kalasha
sthapayami.
नारियल स्थापन
NARIYAL STHAPAN / COCONUT PLACEMENT
कलश
के ऊपर नारियल स्थापित
करें। नारियल पर मौली बंधी
होनी चाहिए।
तत्रादौ पूर्णत्व प्राप्ताय निमित्तं तां नारिकेलं फलं
तत्र स्थापयेत् ।
Place coconut on top of the Kalash. Mouli should be tied on
the coconut.
Tatradau Purnatvam
praptaaye nimittam tam narikelam phalam tatra sthapayat.
कलश स्थापन KALASH STHAPAN
इसके
बाद दोनों हाथों में कलश को
उठायें।
कलशस्य
मुखे विष्णुः कंठे रुद्रः समाहितः
मूले तस्य स्थितो ब्रह्मा
मध्ये मातृ गणः स्थितः
कुक्षौ तु सागरा सर्वे
सप्तदीपा वसुन्धरा ऋग्वेदो, यजुर्वेदः सामवेदो ह्यथर्वणः अंगैश्च सहिता सर्वे कलशन्तु समाहिताः । सर्वे समुद्रा
सरितस्तीर्थानि जलदा: आयान्तु मम शान्त्यर्थं दुरितक्षय
कारकाः । मातृ देवो
भव, पितृ देवो भव,
आचार्य देवो भव, अतिथि
देवो भव, सर्व देवेभ्यो
नमो नमः ।
After this, lift the
Kalash in both hands.
Kalashasya Mukhe Vishnu:
Kanthe Rudrah Samhitah Mule Tasya Sitto Brahma Madhyam Matri Ganah Sithih
Kukshou Tu Sagara Sarve Saptadipa Vasundhara Sarve samudra saritastirthani
jalda: ayantu mama shantyartham duritakshay karakaah. Matra devo Bhava, Pitru
Devo Bhava, Acharya Devo Bhava, Atithi Devo Bhava, Sarva Devebhyo Namo Namah.
पवित्रकरण PAVITRIKARAN
फिर
कलश को अपनी जगह
वापस स्थापन कर दें और
कलश का जल अपने
ऊपर छिड़क लें।
ॐ अपिवत्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपिवा
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं सः बाह्याभ्यन्तरः शुचिः।
पुण्डरीकाक्षाय नमः ।
फिर कलश में
तीन आचमनी जल डालें
गंगा
जल आवाहयामि स्थापयामि नमः। यमुना जलं
आवाहयामि स्थापयामि नमः। सर्वान् समुद्रान्
आवाहयामि स्थापयामि नमः।
Then put the Kalash back in its place and sprinkle the water
of the Kalash on you.
OM apitrah pavitra va sarvavasam gatoapiva yah smeret pundarikasam sa bahya abhyantarah
shuchih.
Pundarikakshaya Namah.
Then pour three
achmani waters in the kalash.
Ganga Jal Aavahyaami Sthapayami Namah. Yamuna jal aavahyaami
sthapayami namah. Sarvan Samudran Aavahyaami Sthapayami Namah.
जल स्नान JAL SNAN / WATER BATH
अब कलश के जल
से वापस पादुका को
स्नान करवाइये
ॐ वरुणस्यो वर्णभाति वरुणस्यो ऋतसदृश वरुणस्य मां वरुणस्था सदृशं
आसीत् । स्नानं समर्पयामि
नमः। ॐ वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य स्कम्भ
सर्जनीस्थो वरुणस्य ऋत सदन्यसि वरुणस्य
ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋत सदनमासीत्।
Now bathe the paduka back with the water of the Kalash.
OM Varunasyo Varnabhati Varunasyo Ritasadrish Varunasya Maa
Varunastha sadrisham Asit. Snanam Samarpayami Namah. Om Varunasyotmbhanamasi Varunasya Skambha
Sarganistho Varunasya Rita Sadanyasi Varunasya Ritasadnamasi Varunasya Rita
Sadanamasit.
दुग्ध स्नान MILK BATH
अब दूध से स्नान
करवाइये
ॐ पयः पृथिव्यां पय
ओषधीषु पयो दिव्यन्तरिक्षे
पयोधाः
पयस्वती: प्रदिशः सन्तु मह्यम् । आचमनी भर
कर तीन बार जल
चढाइये
पुनः
शुद्धोदक स्नानं समर्पयामि नमः।
take a bath with milk
Om Payah Prithviyam Paya Oshadhishu Payo Divyantrikshe
Payodha: Payaswati: Pradishah Santu Mahayam. Fill the
achamani and offer water thrice
Again Shuddhodaka Snan Samarpayami Namah.
दधि स्नान CURD BATH (दही
से स्नान कराएं)
ॐ दधि क्राव्णो अकारिषं
जिष्णोरश्वस्य वाजिनः । सुरभि नो
मुखारकत् प्रण आयू (गूं)
षि तारिषत् ॥ दधि स्नान
के बाद पुनः जल
से स्नान करावें - ॐ सर्व शुद्धवालः
च शुद्धोदक स्नानं समर्पयामि नमः।
तत्रादौ घृत स्नान कुर्यात्
।
Om dadhi kravno akarisham jishnorasvasya vajinah. Surabhi no
Mukharkat Prana Ayu (Gum) Shi Tarishat,
After the curd bath,
take a bath again with water - Om Sarva Shuddhavalah Cha Shuddhodak Snanam
Samarpayami Namah.
Tatradau Ghrita bath
Kuryat.
घृत स्नान GHEE BATH (अब घी
से स्नान कराए)
ॐ घृतं मिमिक्षे घृतमस्य
योनिर्धो घृतमस्य धाम अनुष्वधमावह मादयस्व
स्वाहाकृतं वृषभवक्षिहव्यम् । घृतं स्नानं
TM समर्पयामि नमः । घृत
स्नानान्ते तत्रादौ शुद्धोदक स्नानं कुर्यात।
OM Ghritam mimikshe ghritamsya yonirdho ghritamsya dham
anushvadhamavah madyasva svahakritam Vrishabha vakshihavyam. Ghritam Snan tvbam
Samarpayami Namah. Ghrita bathante tatradau sudhodaka snanam kuryat.
शुद्धोदक स्नान PURE WATER BATH ( पुनः
शुद्ध जल से स्नान
कराएं)
ॐ शुद्धवालः सर्वशुद्ध वालो मणिवालस्त आश्विनाः
श्वेतः श्वेताक्षोऽरुणस्ते रुद्राय पशुपतये कर्णायामा अवलिप्ता रौद्रा नभोरूपा पार्जन्याः ।
तत्रादौ मधु स्नानं समर्पयामि
नमः।
OM Shuddhavalah sarva
shudh Manivalast Ashvinah Shvetah
Shvetaksho ऽrunaste Rudraya Pashupataye Karnayama Avalipta Raudra Nabhorupa
Parjanyah.
Tatradau Madhu Snanam Samarpayami Namah.
मधु स्नान HONEY BATH
ॐ मधुव्वाता ऋतायते मधुक्षरन्ति सिन्धवः माध्वीर्नः सन्त्वोषधीः
। मधुनक्तमुतोष सो मधुमत पार्थव
(गूं) रजः। मधु द्यौरस्तु
नः पिता मधुमान्नो वनस्पतिः
मधुमानस्तु सूर्य: माध्वी र्गावो भवन्तुनः ।
मधु स्नान समर्पयामि
पुनः शुद्धोदक स्नान कुर्यात् । तत्रादाँ शर्करा
स्नान कुर्यात् । नमः ।
OM Madhuvvata Ritayate Madhukshranti Sindhvah Madhvirnah
Santvoshadhi:
, Madhunktamutosh so Madhumat Parthava (Gum) Rajah. Madhu
Dyarstu Nah pita Madhumanno Vanaspatih Madhumanastu Surya: Madhvi Garvo
Bhavantunah.
Madhu Snan
Samarpayami punah Shuddhodak Snan Kuryat. Tatrado shakkar snaan Kuryat.
शर्करा स्नान SUGAR BATH ( अब
शक्कर से स्नान कराए)
ॐ सविस्ते निखन्दे
निवसितो गुं शतः स
गणेन संऋषि सोम पेन च
न हवि पतिं पा।
तत्रादौ शर्करा स्नानं समर्पयामि नमः । पुनः
शुद्धोदक स्नान कुर्यात् ।
OM saviste nikhande nivasito gum shatah sa ganen sanrishi som
pen cha na havi pati pa. Tatradau shakra snanam samparpayami namah. Shuddhodak
bathing Kuryat again.
गंगाजल स्नान
GANGAJAL BATH
ॐ गंगे च यमुने
चैव गोदावरी सरस्वती नर्मदे सिन्धु कावेरी जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु ब्रह्माण्डोदर तीर्थानि
करे पृष्टानि ते रवे तेन
सत्येन मे देव तीर्थं
देहि दिवाकरः ।
पादुका को हाथ में
लेकर अच्छी तरह स्नान करावें
।
पूर्ण
स्नानं कुर्यात्।
Om Gange
Cha Yamune Chaiva Godavari Saraswati Narmade Sindhu Kaveri Jalemsmin Sannidhi
Kuru Brahmandodar Tirthani Kare Prashtani Te Rave Ten Satyen Me Dev Teertam
Dehi Divakarah.
Take a bath with the paduka in hand.
Full bath.
पादुका स्थापन
PADUKA STHAPAN
थाली
को हटा दीजिये और
दूसरी थाली लेकर उसमें
स्वस्तिक का चिन्ह बनाइये
और पादुका को वस्त्र से
अच्छी तरह से पोंछ
लें और स्थापित करें
तथा पादुकाओं के नीचे पुष्प
रखें
आसनम्
समर्पयामि नमः।
ॐ सः पूर्वी एतोऽस्मानं
सः कृते दीर्घां गुरु
पादुकां आसनं समर्पयामि नमः।
आसनान्ते अंगुष्ठरूपेण तिलकं कुर्यात् ।
Remove the plate and take another plate and make a swastika
sign in it and wipe the paduka well with the cloth and install it and place
flowers under the padukas.
Asanam Samarpayami Namah.
Om sah purvi ethosmanam sah krite dhirgam guru padukam asanam
samparpayami namah. Asanante angushtrupen tilakam kuryat.
तिलक TILAK
दोनों
पादुकाओं पर दाएं हाथ
के अंगूठे से तिलक करें
ॐ नमो स्त्वनन्ताय सहस्त्रमूर्तये
सहस्त्र पादाक्षिशिरोरुबाहवे सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते सहस्त्र कोटि
युग
धारिणे नमः ।
तत्रादौ
कुंकुमं विलेप्य।
Apply tilak on both the padukas with the thumb of the right
hand.
OM Namo Svanantaya Sahastramurtyye Sahastra Padakshi shirorubahve
Sahastra Naamne Purushay Shashvate Sahastra Koti
yug Dharine Namah.
Tatradau kumkuman vilepya.
कुंकुंम KUMKUM
अब पादुका पर कुंकुम से
तिलक करें -
कुकुमान
पूर्वा एतोऽस्मान सौभाग्यं द्रव्य समर्पयामि नमः ।
सौभाग्यं लभ्यते
तिलकं कृत्वा अक्षतान् समर्पयामि नमः। ॐ अक्षन्नमी मदन्त ह्य प्रिया अधूषत अस्तोषत
स्वभानवो विप्रा न विष्ठयो मती योजान् विन्दते हरी ।
तत्रादौ एतोऽस्मानं सुगन्ध द्रव्यं समर्पयामि नमः।
Now apply tilak on paduka with kumkum.
Kukuman Poorva Etosman Saubhagyam Dravya Samarpayami Namah.
Saubhagyam labhyate tilakam kritva akshatan samparpayami
namah. OM Akshnami madant hya priya adhushat astoshat svabhanavo vipra na
visthyo matti yojan vindate hari.
Tatradau etosmanam sugandh
dravyam samparpayami namah.
सुगन्धित द्रव्य PERFUME
इसके
बाद सुगन्धित द्रव्य चढ़ावें
सौभाग्यं द्रव्यं समर्पयामि नमः। तत्रादौ पुनः अक्षतं समर्पयामि
नमः। ॐ अक्षन्नमी
मदन्त दुतिमदन्त । भूति पूर्णत्व
प्राप्ता निमित्तं।अक्षतान्ते पूर्णाः
।
then offer perfume
Saubhagyam dravyam
samparpayami namah. Tatradau punah Akshatam Samarpayami Namah. Om Akshnami
Madant drutimdant.
Bhooti purnatva prapta nimitam akshatante punoh.
यज्ञोपवीत YAGYOPAVIT
हाथ
में यज्ञोपवीत लें
यज्ञोपवीत
इति सुतलं छन्दः यज्ञोपवीत धारणे विनियोगः
यज्ञोपवीतं
परमं पवित्रं प्रजापते यत् सहजं पुरस्तात्,
आयुष्यमग्रचं प्रतिमंच शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः । तेनत्वां
प्रतिगृह्यामि, यज्ञोपवीतं प्रजापत्यं सहितं पुरुष आयुष्यं मन वचन प्रति
शुद्धं यज्ञोपवीतं बलस्य वीर्य प्रथयामि तत्रादौ यज्ञोपवीतान्ते
पुनः तिलकं कृत्वा । ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति न पूषा विश्व वेदाः
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्तिनो बृहस्पतिर्दधातु । तत्रादौ कुंकुंमेन
तिलकं कृत्वा । तत्रादौ एतोऽस्मानं वस्त्रं समर्पयामि नमः।
take the yajnopaveet in
hand
Yajnopaveet Iti Sutlam
Chhandah Yagyopaveet Dharane viniyogah
Yajnopaveetam paramam
pavitam prajapate yat sahajam purastat, ayushyamgracham pratimach shubram
yajnopavitam balamastu tejah. Tentva pratigrahyami, yajnopavitam prajapatyam
samhitam purush ayushyam man vachan prati sudham yajnopavitam balsya veeryam prathyam
tatradau yajnopavitante punah tilakam kritva.
Om swasti na indro vriddhashravah. Swasti na
pusha vishwa veda: swasti nastarksyo arishtanemih. Swastino brahaspatirddhatu.
Tatradau kunkumen tilakam kritva. Tatradau etosmanam vastram samparpayami
namah.
वस्त्र CLOTHES
ॐ युवा सुवासा
परिवीत आगात् स उश्रेयान् भवति जायमानः तं धीरासः कवयः उन्नयन्ति साध्यो मन सः देवयन्तः
। वस्त्रं समर्पयामि नमः। वस्त्रान्ते पुण्य फल प्राप्ति निमित्तं दक्षिणा द्रव्यं
समर्पयामि नमः।
Om yuva
suvasa parivet aagat sa ushreyan bhavati jaymanah tam dhirasah kavayah unnayanti
sadhyo mana sa devyantha. Vastram samparpayami namah. Vastrante punye phal
prapti nimitam dakshina dravyam samarpyami namah.
नैवेद्य NAIVEDYA / SWEETS
स इखित्वा ईखित्वोर्णेत्वा
स
पूर्वा लिंगोवतां
देवता स दीर्घावतां, नैवेद्यं समर्पयामि नमः।
ॐ नाभ्या आसीदन्तरिक्ष
(गूं) शीष्णों द्यौः समवर्तत पद्भ्यां भूमिर्दिशः श्रोत्रां स्तथा लोकान् अकल्पयान्
।
s ikhitva
ekhitvornetva s
Poorva
lingovat devata sa dilhavatam, naivedyam samparpayami namah.
OM Nabhaya
asidantriksh (Gum) shisno dyauh samvartt padbhya bhumidishah srotran sthamana
lokan akalpayan.
आचमन AACHMAN
इसके
बाद नैवेद्य के चारों ओर
जल की प्रदक्षिणा करें
ॐ प्राणाय स्वाहा
। ॐ अपानाय स्वाहा
। ॐ व्यानाय स्वाहा
। ॐ उदानाय स्वाहा
। ॐ समानाय स्वाहा।
ॐ भक्ष्य भोज्य धेनु मुद्रां मत्स्य
मुद्रां च प्रदर्शय ।
पूर्णता प्राप्ति निमित्तं नैवेद्यं समर्पयामि नमः। नैवेद्यान्त फल
समर्पयामि नमः ।
After this, circulate the water around the naivedya.
Om Pranay Swaha. Om
Apneya Swaha.om Vyanay Swaha. Om Udanay
Swaha. Om samanay swaha. Om Bhakhsya
Bhojya Dhenu Mudram Matsya Mudram cha pradarshniyam. Poornta prapti nimittam naivedyam samparpayami namah.
naivedyanta fruit
फल FRUITS (पादुका पर
मौसमी फल अर्पित करें)
इदं
फलं मया देव स्थापितं
पुरतस्तव। तेन मे सफलावाप्तिः
भवेज्जन्मनि जन्मनि ॥ फलान्ते स
कृते एतोऽस्मानं स पूर्णत्वं पूर्ण
नारिकेलं एतोऽस्मानं पूर्ण विविध फलानि समर्पयामि नमः। तत्रादौ त्वं
पूर्णत्वाम् फलानि समर्पयामि नमः।
इसके
अलावा भी कोई फल
आदि हो, तो उसे
रख दीजिए।
Idam Phalam Maya Dev
sthapitam Purastava. Ten me safalavapti h Bhavejjanmani janmani. Phalante sa krite
atosmanam sa purnatvam purna narikelam atosmanam purna vividh phalani
samparpayami namah. Tatradau tvam purnatvam phalani samparpayami namah.
Apart from this, if there
is any fruit etc., then keep it.
ताम्बूल TAMBUL
फलान्ते
ताम्बूलं समर्पयामि नमः ।
पान
का पत्ता, लौंग और सुपारी
रखें।
तत्रादौ
पुनः एतोऽस्मानं नैवेद्यं समर्पयामि नमः।
कलशात्
नारिकेल गृहणीयात् ।
Phalante Tamboolam Samarpayami Namah.
Keep betel leaf, clove and betel nut.
Tatradau punah atomsmanam naivedyam samparpayami namah.
Kalashat Narikela grehaniyat.
नारियल COCONUT
कलश
के ऊपर जो नारियल
है, उसे अपने दोनों
हाथों में ले लें
-
यत्रा
ते धृतस्य धृता ते धारणे
विनियोगः धी ब्रह्मर धृता
वचना यत्रास्व यत्रा भर्गो देवानां दक्षिणाये सागरस्य महालक्ष्म्यै सम्पूर्णयते सप्रभावान् जपा मम त्वां
अमुक गोत्रोत्पन्नोऽहं
अमुक
शर्माऽहं . त्वां पूर्ण बल
बुद्धि
विद्या पूर्णत्वं त्वां चरणे नारिकेल फल गृह्णाति
त्वां चरणे समर्पयामि नमः।
मैं
अपना बल, बुद्धि,
समस्त शरीर आपके चरणों
में इस नारियल के
रूप में आपको समर्पित
कर रहा हूं।
Take the coconut that is on top of the Kalash, in both your
hands.
Yatra te dhritasya dhruta te dharane viniyogah dhi brahmar
dhruta vachana yatrasva yatra bhargo devanaam dakshinaaye sagarasya
mahalakshmayai sampurnayate saprabhavan japa mam tva …….. gotratpannoham
Amuk ……..NAME ….. full force
Buddhi Vidya Purnatvam Twan Charane Narikeel Phal Ghrnaati
Tva Charane Samarpayami Namah. I
I am dedicating my
strength, intelligence, entire body to you in the form of this coconut at your
feet.
गुरू स्मरण GURU PRAYER
हाथ
जोड़ लीजिये
गुरुर्वै सदाहं भवतं भव सदैव
ऐता सदैवं । सदा प्रसन्नार्थ
रूपं सदैवं सदैवं यत्र रूप मेव
॥ कृपात्र भवेत त्वां त्रिभुवनमेव
सिन्धु सदाहं । शरण्यं गतं
वै शरण्यं प्रसन्नार्थ रूप भवेत् तम्
॥ आवाहनं त्वमेवं शरण्यं प्रवृत्ति आशीर्वाद भवेतं त्वमेव रूपा पूर्ण मदैव नित्यं ॥
भवेतां नित्यं सुदीर्घ नित्यं चिन्त्यं विचिन्यं त्वा चरणारविन्दे मम मस्तक त्वां
समर्पयामि ॥
अपने सिर को झुका कर पादुका से स्पर्श कराएं।
join hands
Guruvai sadaham bhavatam bhava sadaiva aita
sadaam. Sada prasannartham rupam sadaivam sadaivam yatra rup mev. Kripatra
bhavet twan tribhuvanamev sindhu sadaham. Sharanyam gatam vai sharanyam
prasannaarth roop bhavet tam. Avahanam tvamevam sharanyam pravriti aashirvadam
bhavetam tvameva rupa purna madaiva nityam. Bhavetam nityam sudharga nityam
chintyam vichinyam tva charanarvinde mam mastak tvam samparpayami.
Tilt your head and touch it with the paduka.
दिक् पूजन DIK PUJAN
कुंकुम से दसों
दिशाओं को तिलक करिये।
पूर्वे इन्द्राय
नमः ।
श्री इन्द्र स्थापयामि नमः ।
दक्षिणे यमाय
नमः ।
श्री यम स्थापयामि नमः ।
पश्चिमे वरुणाय
नमः ।
श्री वरुण स्थापयामि नमः ।
उत्तरे कुबेराय
नमः ।
श्री कुबेर स्थापयामि नमः ।
उत्तरे अन्तरिक्षं स्थापयामि । विष्णुर्विष्णुं स्थापयामि
वास्तु देवतां स्थापयामि, दश दिग्पाल समस्त दिग् देवता यक्ष, गन्धर्व, किन्नर कुलं
समस्तं स्थापयामि पूजयामि नमः।
हाथ में जल
लेकर छोड़ दें।
तत्रादौ पुष्पार्घ्यं
समर्पयामि नमः।
Tilak the ten directions
with kumkum.
Purve Indray Namah.
Sri Indra Sthapayami Namah.
Dakshin Yamay Namah.
Sri Yama Sthapayami Namah.
Paschim Varunaya Namah.
Sri Varuna Sthapayami Namah.
Utre Kuberai Namah.
Shri Kubera Sthapayami Namah.
Uttare antriksham sthapyami . Vishnuvarvishnum
sthapayami vaastu devtam sthapayami, das divigpal samast dig devta yaksha, gandharva, kinnar kulam samastam
sthapayami pujayami namah.
Leave with water in hand.
Tatradau Pushparghyam
Samarpayami Namah.
पुष्प माला FLOWERS (
फूलों की एक माला पादुका पर चढ़ाए )
गुरुत्व त्वां
पुष्पमाल्यरूपेण समस्तं शिष्येण समस्तं पुष्परूपेण त्वां किंचित रूपेण त्वां
चरणे समर्पयामि
नमः।
पुष्प माला
का अर्थ है, जिस प्रकार से माला के पुष्प आपस में जुड़े हुए हैं, उसी प्रकार से हम
आपस में जुड़े हुए आपके चरणों में समर्पित हों।
पुष्पमाला समर्पयामि
नमः ।
तत्रादाँ गुरु
पादुका पंचक कुर्यात् ।
Gurutva
Twam Pushpamalya rupena Samastam shishyen Samastam Pushparupen
Tvam
kinchit rupen Charane Samarpayami Namah.
Pushpa
Mala means, just as the flowers of the garland are intertwined, in the same way
we should be devoted at Your feet intertwined.
Pushpamala
Samarpayami Namah.
Immediately
Guru Paduka Panchak Kuryat.
गुरु पादुका पंचक GURU PADUKA PANCHAK
ॐ नमो गुरुभ्यो
गुरुपादुकाभ्यां नमः परेभ्यः परपादुकाभ्यां । आचार्य सिद्धेश्वर नमः श्री पादुकाभ्या
नमो गुरुपादुकाभ्याम् ॥ ऐंकार ह्रींकार रहस्ययुक्त श्रींकारगूढार्थ महाविभूत्या | ॐ
कार मर्म प्रतिपादिनीभ्यां नमो
नमः श्री गुरुपादुकाभ्याम्॥
होम ाग्निहोत्राग्नि हविष्य होतृ होमादिसर्वाकृति भासमानं । यद् ब्रह्म तद्बोधवितारिणीभ्यां
नमो नमः श्री गुरुपादुकाभ्याम् ॥ अनंत संसार समुद्रतार नौकायिताभ्यां स्थिरभक्तिदाभ्यां
।
जाड्याब्धिसंशोषण
बाडवाभ्यां नमो नमः श्री गुरुपादुकाभ्याम् ॥ कामादिसर्प व्रजगारुड़ाभ्यां विवेक वैराग्य
निधिप्रदाभ्यां । बोधप्रदाभ्यां द्रुत मोक्षदाभ्यां
नमो नमः गुरुपादुकाभ्याम् ॥ तत्रादाँ सिद्धाश्रम पूजनं कुर्यात् ।
Om Namo
Gurubhyo Gurupadukabhayam Namah Parebhyah Parapadukabhayam. Acharya Siddheshwar
Namah Sri Padukabhaya Namo Gurupadukabhayam. Ainkar Hinkar Rehasya yuktam
Srinkargudartha Mahavibhutya | om kar marma pratipadinibhayam namo
Namah Sri
Gurupadukabhayam Homa agnihotragni vishya hoti homadisarvakriti bhasmanam. Yad
Brahm Tadbodh vitarinibhayam Namo Namah Sri Gurupadukabhayam. Anant sansaar
samudrataar noukayitabhyam sthir bhakti dabhyam
Jadyaabdhi
sanshoshan badvabhayam namo namah sri gurupadukabhayam Kamadisarpa
Vrajgarudabhayam Vivek Vairagya Nidhipradabhyam. Bodhpradabhyam dhrut
mokshadabhyam namo namah gurupadukaabhyam. Tatradaan Siddhashram Pujanam
Kuryat.
सिद्धाश्रम पूजन SIDDASHRAM PUJAN
सिद्धाश्रमस्थ
समस्त ऋषि मुनि सिद्ध गन्धर्व, यक्षान् पूर्वां त्वां परम गुरु पारमेष्टि गुरु पूर्ण
रूपेण त्वं आवाहयामि मम पूर्णस्य त्वां चरणारविन्दे तुभ्यं सम्पर्ददे ।
Siddhashramastha
samast rishi , muni, Siddha Gandharvas, yakshan purvan tva param guru parmeshti
guru purne rupena tvayam aavahyami mama purnasya twan charanarvinde tubhyam
sampardade.
स्थापन STHAPAN / PLACEMENT
एक तरफ चावल
की ढेरी बना लीजिए तथा उसके ऊपर सुपारी रख लीजिए और स्वामी सच्चिदानन्द जी से प्रार्थना
करें, कि वे आपके हृदय में स्थापित हों
गुरुत्व सदैव
पूर्ण मदैव रूपं, साक्षात् परब्रह्म रूप त्वमे वं । आवाहयामि मम पूजनार्थं तदैव रूपं
;
भगवन्नमस्ते
आवाहयामि स्थापयामि नमः ॥
Make a
heap of rice on one side and place betel nut on it and pray to Swami
Satchidanand ji, that he may be established in your heart.
Gurutva
sadaiv poorna madaiv rupam sakshaat parbrahm roop tvame vam, Aavahyami Mama Pujartham
Tadaiva Roopam
पूजन POOJAN / WORSHIP
तत्रादौ कुंकुंम
समर्पयेत्।
कुंकुंमान्ते
एतोऽस्मानं अक्षतान् समर्पयामि नमः।
ॐ अक्षतान्ते
पुष्पाणि समर्पयामि तां ते पूर्वाहं ते पुष्पं समर्पयामि नमः। पुष्पान्ते नाना सुगन्धानि
सुगन्धमाले माला इत्यादि भुवयातं पूजार्थं पुष्पाणि ते पुष्पं समर्पयामि नमः।
पुष्पान्ते
धूपं दीपं दर्शयामि दर्शयामि नमः ।
दीपान्ते नैवेद्य
समर्पयामि नमः ।
नैवेद्यान्ते
समस्त पुष्प पल्लवं ते धूपं दीपं ते च आसनं पूर्वान्त दीर्घा आसनाय पारमेष्ठि गुरु
आवाहयामि स्थापयामि नमः।
Tatradau
kumkum samparpayet.
Kumkummante
atomsmanam akshatan samparpayami namah.
Om
akshaante pushpani samparpayami tam te purvaham te pushpam samparpayami namah.
Pushpante Nana Sugandhani Sugandhamale Mala ityadi bhuvyatam poojarth pushpani
te pushpam samarpyami namah
Pushpante
Dhupam Deepam Darshayami Darshayami Namah.
Deepante
Naivedya Samarpayami Namah.
Naivedyante
samsam pushp pallavam te dhupam dipam te cha asanam purvanta deergha asanay
parmeshthi guru aavahyami sthapayami namah.
परमेष्ठि गुरू आवाहन PARMESHTI GURU AAWAHAN
दोनों हाथों
में पुष्प लेकर पारमेष्ठि गुरु को अर्पित करें व प्रार्थना करें कि वे इस पूजन में
आकर आपको आशीर्वाद दें
तां पूर्वा
ऐतोऽस्मानं पारमेष्ठि गुरु स्वामी सच्चिदानन्द रूपेण आवाहयामि मम सिद्धाश्रमस्थ समस्त
ऋषि मुनि गंधर्व किन्नर त्वां पूर्णत्व अप्सरा सहित आवाहयामि समस्तं स्थापयामि नमः।
पुष्प कुंकुम
लेकर पादुका पर चढ़ा दें। हाथ जोड़ लीजिये ।
पूर्वां पवित्रं
तां मम समस्त सौख्य एतोऽस्मानं स कृते कल्याणं स मन वचन कर्मणा पवित्र, शुद्ध,
सात्विक पूर्ण,
समस्त दुःख दोष, दारिद्र्य निवारणार्थ, सुख, सौभाग्य, धन, धान्य, यश, प्रतिष्ठा, ऐश्वर्यं
त्वां पूर्ण आशीर्वाद प्राप्तये निमित्तं त्वां पुष्प रूपेण मम हृदये रोम प्रतिरोम
त्वां
चरणारविन्द
समर्पयामि नमः ।
तत्रादौ सिद्धाश्रम पंचक कुर्यात्।
Offer
Parmeshthi to Guru with flowers in both hands and pray that he may come to this
worship and bless you.
Tam Purva
Aitosmanam Parmeshthi Guru Swami Satchidananda Rupen Aavahyami Mama
Siddhashramastha samast rishi Muni Gandharva Kinnar Twan Purnatva Apsara sahit Aavahyaami
Samastam Sthapayami Namah.
Take a
flower , kumkum and put it on the paduka. Join hands.
Purvam
pavitam tam mam samakhya atomsmanam sakrite kalyanam sa man vachan karmana
pavitra shudh,
Sattvik, poorna
samast dukh dosh , daridrya nivarnartha , sukh saubhagya dhan dhanya yash
pratishta aishwarya twam poorna ashirwad praptartham nimittam twan pushp rupena mama hridaye rom
pratirom twan
Charanravind
Samarpayami Namah.
Tatradau Siddhashram Panchak Kuryat.
सिद्धाश्रम पंचक SIDDASHRAM PANCHAK (YOU TUBE)
हाथ जोड़ कर
पूर्ण भक्तिभाव से नतमस्तक होते हुए सिद्धाश्रम पंचक का उच्चारण करें
गुरुत्व सदैव
पूर्ण तदैव, भाग्येन देवो भवदेव नित्यं ।
अहोभवां मम पूर्ण सिन्धु'; गुरुत्वं शरण्यं गुरुत्वं
शरण्यं ।
त्वमेव माता च पिता त्वमेव………
त्वं मातृ रूपं
पितृ स्वरूपं, बन्धु स्वरूप आत्म स्वरूपं ।
चैतन्य रूप
पूर्णत्व रूपं ; गुरुत्व शरण्यं गुरुत्वं शरण्यं
॥
त्वमेव माता च पिता त्वमेव…....
न तातो न माता
न बन्धु र्न भ्राता, न पुत्रो न पुत्री न भृत्यो
र्न भर्ता ।
न जाया न वित्तं
न वृत्तिर्ममेव; गतिस्त्वं मतिस्त्वं गुरुत्वं
शरण्यं ।॥
त्वमेव माता च पिता त्वमेव…...
अनाथो दरिद्रां
जरा रोग युक्तो, महाक्षीण दीन: सदा जाड्य वक्ता
।
विपत्ति प्रविष्ट सदाह भजामि ; गुरुत्वं शरण्यं गुरुत्ववं शरण्यं ।॥
त्वमेव माता च पिता त्वमेव…..
त्वं मातृरूप
त्वं पितृ रूपं, सदैव सदैव कृपा सिन्धु रूपं।
त्वमेव शरण्य
त्वमेव शरण्य; गुरुत्व सदैवं गुरुत्वं शरण्यं ।॥
त्वमेव माता च पिता त्वमेव…..
न जानामि मंत्र
न जानामि तंत्र, न योगं न पूजां न ध्यानं वदामि।
न जानामि चैतन्य
ज्ञान स्वरूप : एकोहि रूप गुरुत्वं शरण्यं ।
त्वमेव माता च पिता त्वमेव…..
एकोहि नाम एकोहि
कार्यं, एकोहि ध्यानं एकोहि ज्ञानं ।
आज्ञा सदैवं
परिपालयन्ति; त्वमेवं शरण्यत्वमेवं शरण्यं ।॥
त्वमेव माता च पिता त्वमेव…..
त्वं ज्ञात
रूपं त्वं अज्ञात रूपं, मम देह रूप मम प्राण रूपं ।
पूर्णत्व देहं
मम प्राण रूपं; त्वमेवं शरण्यं गुरुत्वं शरण्यं ।॥
त्वमेव माता च पिता त्वमेव…..
अनया पूजया
सांगाय सपरिवाराय सिद्धिकार्य पूर्णत्वं पूर्ण समर्पण देहं समर्पयामि मम वचन कर्मणां
पूर्ण आज्ञां परिपालयन्ति पात्र रूपेण त्वां चरणे समर्पयामि नमः ।
समर्पण प्रार्थना SAMARPAN
हाथ में पुष्प
लें
ॐ पूर्णत्व
प्राप्ताय पूर्णां हरिदारा इदं वचसा पुनराकृतो वस्त्रे सदैवं इदं गुं सदकृतो पूर्णत्व
प्राप्ति रूपेण मन वचन कर्म अस्तित्व कार्य जीर्ण त्वं आज्ञां परिपालयन्ति सिद्धाश्रमं
प्रापयन्ति पूर्ण भौतिक धन धान्य यश ऐश्वर्य प्रतिष्ठा सुख सौभाग्य प्राप्ताय निमित्तं
त्वां चरणारविन्दे परिपूजयन्ति मम समस्त शरीरे मन प्राण त्वां समर्पयामि मम समस्त विकार
काम क्रोध लोभ मोह अहंकार पूर्ण सिद्ध चैतन्य रूपेण त्वां चरणे समर्पयामि नमः।
(श्री गुरु पादुका पूजनं सम्पूर्णम्
।)
Take flower
in hand
Om poornatva
praptaye purnam haridara idam vachasa punarakto vastre sadaivam idam gm sadkrto
poornatva prapti rupen, man vachan karma astitva kaarya jeerna tvam agyaam, paripalayanti, siddhashram, praapyanti
, poorna bhautik dhan dhany yash aishvarya pratishta sukh saubhagya praptaay ,
nimittam tva charanarvinde, pari pujyanti mam samast shareere man praan tvam
samrpyami mam samast vikaar kaam krodh lobh moh ahankaar poorn siddh Chaitanya rupen
tva charane samparpayami namah.
(Shri Guru Paduka Pujanam
Sampoornam.)
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